आनुवांशिक रूप से संशोधित (जेनेटिक मॉडिफाइड यानी जीएम) संसाधित खाद्य पदार्थों को भारत में सरकारी मंजूरी के बिना बेचा नहीं जा सकता और न ही इसका व्यापार किया जा सकता है
लेकिन सीएसई के एक नए प्रयोगशाला अध्ययन में पाया गया कि उन्हें यहां व्यापक रूप से बेचा जा रहा है। क्या भारत के भोजन और स्वास्थ्य नियामकों ने जानबूझकर ऐसा होने की अनुमति दी है?
भारतीय उपभोक्ताओं को यह जानने का अधिकार है कि वे क्या खा रहे हैं। जीएम लेबलिंग या तो मौजूद नहीं है, या फिर इसे लेकर मिथ्या प्रस्तुति और झूठे दावे किए जा रहे हैं
नई दिल्ली, 26 जुलाई,2018: भारत के लिए अपनी तरह के पहले अध्ययन में, नई दिल्ली स्थित सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट (सीएसई) ने आनुवांशिक रूप से संशोधित (जीएम) संसाधित खाद्य पदार्थों की अवैधउपस्थिति और बिक्री का खुलासा किया है। भारतीय खाद्य संरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) की मंजूरी के बिना देश में इन खाद्य पदार्थों का उत्पादन, बिक्री और आयात प्रतिबंधित है।
सीएसई की प्रदूषण निगरानी प्रयोगशाला (पीएमएल) ने यह अध्ययन किया। इस दौरान भारतीय बाजारों में उपलब्ध 65 खाद्य उत्पादों का परीक्षण किया गया जिनमें से 32 प्रतिशत जीएम पॉजिटिव पाए गए। इन खाद्यउत्पादों को दिल्ली-एनसीआर, पंजाब और गुजरात में खुदरा दुकानों से रेंडमली (यादृच्छिक रूप से) खरीदा गया था। आयातित (35) और घरेलू रूप से उत्पादित (30) नमूनों का परीक्षण किया गया। आयातित नमूने बदतरहालत में थे - 80 प्रतिशत उत्पाद जो जीएम पॉजिटिव पाए गए थे, आयात किए गए थे (पूरी अध्ययन रिपोर्ट के लिए, कृपा www.downtoearth.org.in देखें)।
जीएम पॉजिटिव पाए गए उत्पादों में शिशु भोजन, खाद्य तेल और पैक किए गए खाद्य स्नैक्स शामिल हैं। इनमें से अधिकतर अमेरिका, कनाडा, नीदरलैंड, थाईलैंड और संयुक्त अरब अमीरात से आयात किए जाते हैं। येउत्पाद सोया, कपास बीज, मकई या रैपसीड (कैनोला) से उत्पन्न होते हैं जिन्हें दुनिया की जीएम फसलों के रूप में जाना जाता है।
आज यहां अध्ययन के नतीजों को जारी करते हुए सीएसई की महानिदेशक सुनीता नारायण ने कहा, “हमारी सरकार का कहना है कि उसने जीएम खाद्य उत्पादों के आयात की अनुमति नहीं दी है, तो यह कैसे हो रहाहै? हमने पाया है कि कानून समस्या नहीं है-नियामक एजेंसियां जिम्मेदार हैं।”
सीएसई के उपमहानिदेशक चंद्र भूषण ने आगे कहा, “हमने भारत में अवैध जीएम भोजन की उपस्थिति के बारे में सुना और संसाधित खाद्य पदार्थों का परीक्षण करके वास्तविकता जांचने का फैसला किया। हम जीएमखाद्य पदार्थों के भारतीय बाजार में प्रवेश संबंधी पैमाने को जानकर भौचक्के रह गए। नियामक प्राधिकरण इसके लिए दोषी हैं - एफएसएसएआई ने किसी भी जीएम भोजन को कागज पर अनुमति नहीं दी है, लेकिन इसकीअवैध बिक्री को रोकने में असफल रहा है।”
जीएम क्या है? हमें चिंता क्यों करनी चाहिए?
नारायण कहती हैं, “जीएम (आनुवांशिक रूप से संशोधितद) उत्पादों, विशेष रूप से भोजन, सुरक्षा का एक महत्वपूर्ण सवाल उठाते हैं : सवाल यह है कि वे कितने सुरक्षित हैं।” इस पर फिलहाल निर्णय नहीं लिया जा सकाहै। ऐसा इसलिए है क्योंकि जीएम भोजन में विभिन्न जीवों से जीन (डीएनए) लेना और उन्हें खाद्य फसलों में डालना शामिल है। एक चिंता यह है कि यह “विदेशी” डीएनए विषाक्तता, एलर्जी प्रतिक्रियाओं, पोषण औरअनायास प्रभावों जैसे जोखिम पैदा कर सकता है।
भारत समेत दुनिया के अधिकांश देशों ने जीएम भोजन के लिए “सावधानीपूर्ण” दृष्टिकोण अपनाने का फैसला किया है। उन्होंने अनुमोदन और लेबलिंग के लिए कड़े नियम निर्धारित किए हैं। यूरोपीयसंघ, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, ब्राजील और दक्षिण कोरिया ने जीएम भोजन को लेबल करना अनिवार्य बना दिया ताकि उपभोक्ताओं के पास खाने का चुनाव करने का विकल्प हो (ज्यादा जानकारी केलिए www.downtoearth.org.in पर डाउन टू अर्थ की स्टोरी और सीएसई रिपोर्ट देखें)।
सीएसई अध्ययन में क्या पाया गया?
जीएम भोजन में विदेशी प्रमोटर और टर्मिनेटर जीन होते हैं। बाजार में 90 प्रतिशत से अधिक जीएम फसलों में प्रमोटर जीन जैसे फूलगोभी मोजेक वायरस (सीएएमवी) के 35एस प्रमोटर और अंजीर मोजेक वायरस केएफएमवी प्रमोटर, और एग्रोबैक्टेरियम ट्यूमेफेसिंस के एनओएस टर्मिनेटर जैसे प्रमोटर जीन होते हैं। क्वांटीटेटिव पॉलीमरेज चेन रिएक्शन (क्यूपीसीआर) का उपयोग करते हुए, सीएसई की प्रयोगशाला ने यह जांच की किक्या खाद्य उत्पादों में 35 एस प्रमोटर, एनओएस टर्मिनेटर और एफएमवी प्रमोटर का संयोजन मौजूद था।
अध्ययन के मुख्य निष्कर्ष हैं
- कनौला तेल ब्रांड (संयुक्त अरब अमीरात से जिंदल रिटेल (इंडिया) प्राइवेट लिमिटेड द्वारा आयात किया गया फेरेल, संयुक्त अरब अमीरात से हडसन, डालमिया कॉन्टिनेंटल प्राइवेट लिमिटेड द्वारा इसका विपणन कियागया, जिवो वेलनेस प्राइवेट लिमिटेड द्वारा कनाडा से आयातित जिवो) और भारत से कॉटनसीड तेल ब्रांड (अंकुर, गिनी, तिरुपति और विमल)।
- पैक्ड खाद्य पदार्थ जैसे पैनकेक सिरप ओरिजिनल और पॉपकॉर्न हॉट एन स्पाइसी - अमेरिकन गार्डन के दोनों उत्पाद - भारत में बजोरिया फूड्स प्राइवेट लिमिटेड द्वारा आयात किए गए, फ्रूटलूप्स - न्यूएज गॉरमेट फूड्सद्वारा आयात किए गए केलॉग्स का एक मीठा मल्टीग्रेन अनाज और जनरल मिलसिंक, यूएसए द्वारा वितरित और न्यूएज गॉरमेट फूड्स द्वारा आयात किए गए बगल्स के क्रिस्पी कॉर्न स्नैक्स।
नियम क्या कहते हैं?
एफएसएसएआई ने अब लेबलिंग पर एक मसौदा अधिसूचना जारी की है, जिसमें जीएम भोजन शामिल है। सीएसई के खाद्य सुरक्षा और विषाक्त पदार्थों के कार्यक्रम निदेशक अमित खुराना कहते हैं, “एफएसएसएआईअधिसूचना बताती है कि 5 प्रतिशत या उससे अधिक जीएम अवयवों वाले किसी भी खाद्य पदार्थ को लेबल किया जाएगा, बशर्ते यह जीएम घटक प्रतिशत के मामले में उत्पाद के शीर्ष तीन अवयवों का गठन करे। यूरोपीययूनियन, ऑस्ट्रेलिया और ब्राजील जैसे अन्य देशों की तुलना में 5 प्रतिशत की छूट सीमा बहुत ढीली है, जिनकी सीमा 1 प्रतिशत से कम या नीचे है।”
“लेकिन इसमें एक झोल है”, वह कहते हैं। “सरकार के लिए सभी खाद्य पदार्थों में जीएम सामग्री को मापना बहुत मुश्किल है : ये जांच बहुत खर्चीली और तकनीकी रूप से बोझिल है। इसका मतलब है कि नियामक एजेंसीकंपनियों को स्वघोषणा के लिए कह रही है और बताती है कि वे 5 प्रतिशत सीमा के भीतर हैं और इसलिए उन्हें जीएम लेबल लगाने की जरूरत नहीं है।”
भूषण कहते हैं, “जीएम लेबलिंग नियमों का मसौदा एफएसएसएआई के दोहरे मापदंडों को दर्शाता है। एक तरफ, एफएसएसएआई ने कार्बनिक भोजन को लेबल करने के लिए कड़े नियम निर्धारित किए हैं, जो एकसुरक्षित और स्वस्थ हैं। साथ ही, यह जीएम खाद्य लेबलिंग के लिए भारी छूट देने का प्रस्ताव कर रहा है, जिसकी सुरक्षा चिंता का विषय रही है।”
सीएसई क्या सिफारिश करता है?
नारायण कहती हैं, “2008 में (2012 में अपडेट किया गया), इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) ने इस तरह के भोजन की सुरक्षा निर्धारित करने के लिए दिशानिर्देश जारी किए थे
- इसने चेतावनी दी कि इच्छित परिवर्तनों के साथ अनचाहे परिवर्तनों के लागू होने की आशंका है, जो बदले में उपभोक्ता की पोषण की स्थिति या स्वास्थ्य पर असर डाल सकती है। इसे ध्यान में रखते हुए, भारत जीएम खाद्यविनियमन और लेबलिंग के लिए स्वास्थ्य-आधारित सावधानीपूर्ण सिद्धांत दृष्टिकोण अपनाना चाहता है।”
चंद्र भूषण के साथ फेसबुक पर लाइव 27 जुलाई, 2018 को दोपहर 3 बजे हमसे जुड़ें
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