2014 में शुरू हुए स्वच्छ भारत मिशन (एसबीएम) की बदौलत भारत के 6 लाख से अधिक गांवों में 164 लाख से अधिक घरेलू शौचालयों का निर्माण हुआ। जल शक्ति मंत्रालय के अंदर आनेवाला डिपार्टमेंट ऑफ ड्रिंकिंग वाटर ऐंड सैनिटेशन, जो ग्रामीण क्षेत्रों में पानी और स्वच्छता सुविधाओं की देखभाल करता है, अब एसबीएम 2.0 पर ध्यान केंद्रित करेगा, जो फीकल स्लज के सुरक्षित प्रबंधन से संबंधित है। एसबीएम 2.0 एसबीएम (ग्रामीण) के पहले चरण का अनुसरण करता है, जिसका उद्देश्य मुख्य रूप से शौचालयों तक पहुँच सुनिश्चित करना था।
ग्रामीण क्षेत्रों में शौचालयों से निकलने वाले ब्लैक वाटर के उपचार के लिए ऑन-साइट सैनिटेशन प्रणाली एकमात्र तरीका है। इसलिए टॉयलेट प्रौद्योगिकियों को किसी भी भू-भाग की हाइड्रोलॉजी के अनुरूप, सावधानी से चुना जाना चाहिए।
यह टूलकिट साइट की स्थिति के अनुसार अपशिष्ट के उपचार के लिए सर्वोत्तम तकनीकों का वर्णन करता है। यह ऑन साइट सैनिटेशन प्रणालियों से निकाले गए अनुपचारित या आंशिक रूप से उपचारित स्लज के उचित उपचार की प्रक्रियाओं की जानकारी हमें देता है। यह सुरक्षित निपटान और उपचारित फीकल स्लज के पुन: उपयोग के साथ-साथ पुन: उपयोग के विकल्पों के आस-पास के व्यवसाय मॉडल पर प्रकाश डालता है। ग्रामीण क्षेत्रों में फीकल स्लज प्रबंधन के लिए उपयोग की जाने वाली तकनीकों का वर्णन दुनिया भर के देशों में फैले केस अध्ययनों के माध्यम से किया गया है। यह टूलकिट प्रत्येक शौचालय में पानी की आपूर्ति सुनिश्चित करने एवं फीकल स्लज के प्रबंधन से संबंधित उप-कानूनों और विधायी ढांचे का प्रस्ताव भी करता है।
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