यह तहकीकात शहद को शुद्धता परीक्षणों से बचाने वाले मिलावटी व्यापार का खुलासा करती है। कोविड-19 के संकट के वक्त इस मिलावटी शहद का सेवन हमारे स्वास्थ्य पर जानलेवा प्रभाव डाल रहा है
नई दिल्ली, 2 दिसंबर, 2020
“यह खाद्य धोखाधड़ी (फूड फ्रॉड) 2003 और 2006 में हमारे द्वारा सॉफ्ट ड्रिंक में की गई मिलावट की खोजबीन से ज्यादा कुटिल और ज्यादा जटिल है। हम इस समय जानलेवा कोविड-19 के खिलाफ जंग लड़ रहे हैं और इससे बचने का कोई रास्ता नहीं है, ऐसे कठिन समय में हमारे आहार में चीनी का जरूरत से ज्यादा इस्तेमाल (ओवरयूज) हालात को और भयावह बना देगा।“ शहद में मिलावट के भंडाफोड़ और अध्ययन को लेकर सेंटर फार साइंस एंड एनवॉयरमेंट (सीएसई) की महानिदेशक सुनीता नारायण ने यह बातें कहीं। इस अध्ययन में पाया गया है कि भारतीय बाजारों में बिक्री किए जा रहे करीब सभी शहद के ब्रांड जबरदस्त तरीके से शुगर सिरप की मिलावट वाले हैं।
पर्यावरणविद सुनीता नारायण ने कहा कि यह बेहद चिंताजनक है क्योंकि कोविड-19 के बुरे दौर में यह लोगों की सेहत से समझौता करने वाला है। हम जानते हैं कि शहद में जीवाणुरोधी (एंटीमाइक्रोबियल) और सूजन को कम करने वाले (एंटी इंफलेमेट्री) गुण होते हैं, इसलिए प्रत्येक घर वाले शहद को अच्छाइयों की खान मानकर उसका ज्यादा सेवन कर रहे हैं। हमारे शोध ने पाया है कि बाजार में बिकने वाले ज्यादातर शहद मिलावटी हैं, उनमें शुगर सिरप मिलाया गया है। इसलिए लोग शहद के बजाए अनजाने में अत्यधिक चीनी का सेवन कर रहे हैं। यह कोविड-19 के जोखिम को तो बढ़ाता ही है लेकिन शुगर का सेवन प्रत्यक्ष तौर पर मोटापे और मोटे लोगों से जुड़ा है जो उनमें जानलेवा संक्रमणों को बढ़ा देता है।
तहकीकात में क्या पाया गया?
सीएसई के खाद्य शोधार्थियों ने भारतीय बाजार में बिकने वाले 13 शीर्ष और छोटे ब्रांड वाले प्रसंस्कृत (प्रोसेस्ड) शहद को चुना। इन ब्रांड के नमूनों को सबसे पहले गुजरात के राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड (एनडीडीबी) में स्थित सेंटर फॉर एनालिसिस एंड लर्निंग इन लाइवस्टॉक एंड फूड (सीएएलएफ) में जांचा गया। लगभग सभी शीर्ष ब्रांड (एपिस हिमालय छोड़कर) शुद्धता के परीक्षण में पास हो गए, जबकि कुछ छोटे ब्रांड इस परीक्षण में फेल हुए, उनमें सी3 और सी4 शुगर पाया गया, यह शुगर चावल और गन्ने के हैं।
लेकिन जब इन्हीं ब्रांड्स को न्यूक्लियर मैग्नेटिक रेजोनेंस (एनएमआर) परीक्षण पर परखा गया तो लगभग सभी ब्रांड के नमूने फेल पाए गए। एनएमआर परीक्षण वैश्विक स्तर पर मोडिफाई शुगर सिरप को जांचने के लिए प्रयोग किया जाता है। 13 ब्रांड परीक्षणों में सिर्फ 3 ही एनएमआर परीक्षण में पास हो पाए। इन्हें जर्मनी की विशेष प्रयोगशाला में जांचा गया था।
सीएसई के फूड सेफ्टी एंड टॉक्सिन टीम के कार्यक्रम निदेशक अमित खुराना ने कहा कि हमने जो भी पाया वह चौंकाने वाला था। यह दर्शाता है कि मिलावट का व्यापार कितना विकसित है जो खाद्य मिलावट को भारत में होने वाले परीक्षणों से आसानी से बचा लेता है। हमारी चिंता सिर्फ इतनी भर नहीं है कि जो शहद हम खाते हैं वह मिलावटी है लेकिन यह चिंता इस बात को लेकर है कि इस मिलावट को पकड़ पाना बेहद जटिल और कठिनाई भरा है। हमने पाया कि शुगर सिरप इस तरह से डिजाइन किए जा रहे कि उनके तत्वों को पहचाना ही न जा सके।
खोज में यह तथ्य मिले
भारत से निर्यात किए जाने शहद का एनएमआर परीक्षण 1 अगस्त, 2020 से अनिवार्य कर दिया गया है, जो यह बताता है कि भारत सरकार इस मिलावटी व्यापार के बारे में जानती थी, इसलिए उसे अधिक आधुनिक परीक्षणों की आवश्यकता पड़ी।
चीन से जुड़े तार और कैसे हमने इस “शहद घोटाले (हनीगेट)” को पकड़ा
बीते वर्ष भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) ने आयातकों और राज्य के खाद्य आयुक्तों को बताया था कि देश में आयात किया जा रहे गोल्डन सिरप, इनवर्ट शुगर सिरप और राइस सिरप का इस्तेमाल शहद में मिलावट के लिए किया जा रहा है।
अमित खुराना ने कहा कि यह अब भी अस्पष्ट है कि खाद्य नियामक वास्तविकता में इस काले कारोबार के बारे में कितना जानता है। वह कहते हैं कि एफएसएसएआई के निर्देश में जिन सिरप के बारे में कहा गया है, वे उन नामों से आयात नहीं किए जाते हैं या इनसे मिलावट की बात साबित नहीं होती। इसकी बजाए चीन की कंपनियां फ्रुक्टोज के रूप में इस सिरप को भारत में भेजती हैं। एफएसएसएआई ने यह निर्देश क्यों दिया? हमें यह निश्चित तौर पर नहीं मालूम?
सीएसई ने अलीबाबा जैसे चीन के व्यापारिक पोर्टल्स की छानबीन की जो अपने विज्ञापनों में दावा करते हैं कि उनका फ्रुक्टोज सिरप भारतीय परीक्षणों को बाईपास कर सकता है। यह भी पाया गया कि वही चीन की कंपनी जो फ्रुक्टोज सिरप का प्रचार कर रही थी, वह यह भी बता रही थी कि यह सिरप सी3 और सी4 परीक्षणों को बाईपास कर सकते हैं और इनका निर्यात भारत को किया जाता है। सीएसई ने इस मामले में और जानकारी हासिल करने के लिए एक अंडरकवर ऑपरेशन चलाया।
खुराना ने बताया कि चीन की कंपनियों को ईमेल भेजे गए और उनसे अनुरोध किया गया कि वे ऐसे सिरप भेजें, जो भारत में परीक्षणों में पास हो जाएं। उनकी ओर से भेजे गए जवाब में हमें बताया गया कि सिरप उपलब्ध हैं और उन्हें भारत भेजा जा सकता है। चीन की कंपनियों ने सीएसई को सूचित किया कि यदि शहद में इस सिरप की 50 से 80 फीसदी तक मिलावट की जाएगी तो भी वे परीक्षणों में पास हो जाएंगी। परीक्षण को बाईपास करने वाले सिरप के नमूने को चीनी कंपनी ने पेंट पिगमेंट के तौर पर कस्टम्स के जरिए भेजा।
सीएसई ने उत्तराखंड के जसपुर में उस फैक्ट्री को भी खोजा जो मिलावट के लिए सिरप बनाती है, वे सिरप के लिए “ऑल पास” कोडवर्ड का इस्तेमाल करते हैं। सीएसई के शोधार्थियों ने उनसे संपर्क किया और सैंपल खरीदा। यह समझने के लिए कि क्या यह शुगर सिरप प्रयोगशाला परीक्षण से पास हो सकते हैं, सीएसई ने शुद्ध शहद में इन्हें मिलाया। परीक्षणों में पता चला कि 25 फीसदी और 50 फीसदी शुगर सिरप वाले मिलावटी नमूने पास हो गए। इस तरह हमने यह सुनिश्चित किया कि शुगर सिरप एफएसएसएआई के शहद मानकों को बाईपास कर सकते हैं।
सीएसई क्या कहता है ?
सुनीता नारायण ने कहा कि इस समय हमने मिलावट के कारोबार का खुलासा कर दिया है। हम सरकार, उद्योग और उपभोक्ताओं से ये चाहते हैं:
सुनीता नारायण ने कहा कि हमें बतौर उपभोक्ता शहद के बारे में और अधिक जागरूक होना चाहिए जो हम इसकी अच्छाई के लिए खाते हैं। उदाहरण के लिए, हम अक्सर मानते हैं कि यदि शहद क्रिस्टलीकृत होता है तो यह शहद नहीं है। यह सही नहीं है। हमें शहद के स्वाद, गंध और रंग को सीखना शुरू करना चाहिए जो कि प्राकृतिक है।
नारायण ने कहा कि हम अधिक शहद का उपभोग कर रहे हैं ताकि महामारी से लड़ सकें। लेकिन शुगर की मिलावट वाला शहद हमें बेहतर नहीं बना रहा है। असल में यह हमें और खतरे में डाल रहा है। वहीं दूसरी तरफ हमें और अधिक चिंतित होना चाहिए क्योंकि मधुमक्खियों को खोकर हम अपनी खाद्य प्रणाली को खत्म कर देंगे। यह मधुमक्खियां परागण के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण हैं, यदि शहद में मिलावट होगी तो हम सिर्फ अपनी सेहत नहीं खोएंगे, बल्कि हमारी कृषि की उत्पादकता भी खो देंगे।
"इन अहम कारणों के चलते हम इस तहकीकात को प्रकाशित कर रहे हैं - हम जानते हैं कि शहद प्रसंस्करण उद्योग बेहद शक्तिशाली है और वो यह तर्क देगा कि उनका शहद शुद्धता के लिए भारतीय मानकों को पूरा करता है - लेकिन यहां बहुत कुछ दांव पर है।"
इस पूरी तहकीकात को संलग्न प्रिंट्स में देखिए
Report of honey testing results | |
Download report | |
Press Release | |
New Delhi, December 2, 2020: FOOD FRAUD Investigations reveal nefarious adulteration business of honey designed to bypass purity tests; massive implications for our health during COVID-19 times |
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प्रेस विज्ञप्ति | |
नई दिल्ली, 2 दिसंबर, 2020 खाद्य धोखाधड़ी यह तहकीकात शहद को शुद्धता परीक्षणों से बचाने वाले मिलावटी व्यापार का खुलासा करती है। कोविड-19 के संकट के वक्त इस मिलावटी शहद का सेवन हमारे स्वास्थ्य पर जानलेवा प्रभाव डाल रहा है |
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Presentation | |
CSE Investigation Business of Adulteration of Honey Media release Dec 02, 2020 |
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DTE: Story (English) | |
DTE: Story ( हिंदी ) | |
Honey Adulteration | |
Hindi Media Invitation |
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