कोटा में वायु प्रदूषण में उद्योगों और औद्योगिक अपशिष्टों के डंपिंग से होने वाले उत्सर्जन का अहम योगदान, सीएसई का नया आकलन

  • शिक्षा और कोचिंग के लिए प्रसिद्ध राजस्थान के कोटा में हैं लगभग  350 ऐसी फैक्ट्रियां, जो हवा को दूषित करती हैं। इनमें से 200 फैक्ट्रियों से धुआं और जहरीली गैस निकलती है, जिससे कोटा की हवा बहुत खराब हो रही है 
  • सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरमेंट (सीएसई) और राजस्थान राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (आरएसपीसीबी) ने मिलकर कोटा की हवा साफ करने के लिए एक वर्कशॉप का आयोजन किया।  

वर्कशॉप की कार्यवाही और सीएसई की आकलन रिपोर्ट की ई-कॉपी के लिए यहां क्लिक करें   

कोटा (राजस्थान), 24 जुलाई 2024: राजस्थान का कोटा खनिज के लिहाज से समृद्ध जिला है। यहां खनिजों और पत्थरों पर आधारित कई फैक्ट्रियां हैं, जिनसे हवा दूषित हो रही है। हवा में बहुत ज्यादा प्रदूषण होने की वजह से, केंद्र सरकार ने 2019 में शुरू किए गए राष्ट्रीय स्वच्छ हवा कार्यक्रम (एनसीएपी) में कोटा को‘नॉन अटेनमेंट सिटी’ (प्रदूषण नियंत्रण संबंधी लक्ष्यों को प्राप्त न कर पाने वाले शहर)की सूची में शामिल किया है। 

नई दिल्ली स्थित थिंक टैंक सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट (सीएसई) ने अपनी नई जांच में पाया है कि कोटा में हवा दूषित होने का मुख्य कारण फैक्ट्रियों से निकलने वाला धुआं और उनसे निकला औद्योगिक कचरा है। सीएसई ने कोटा की हवा साफ करने के लिए एक रोडमैप भी बनाया है। 

इस रोडमैप को रखने के लिए, सीएसई और राजस्थान राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (आरएसपीसीबी) ने मिलकर ''कोटा की फैक्ट्रियों में पर्यावरण के लिहाज से सुधार'' नाम का एक वर्कशॉप का आयोजन किया गया। इस वर्कशॉप का मकसद फैक्ट्रियों का प्रदर्शन बेहतर करना और फैक्ट्री वाले इलाकों में अच्छी सुविधाएं प्रदान करना है।  

वर्कशॉप  में कई अहम लोग शामिल हुए, जिनमें राजस्थान राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (आरएसपीसीबी), राजस्थान राज्य औद्योगिक विकास और निवेश निगम (आरआईआईसीओ) और जिला उद्योग केंद्र (डीआईसी) के प्रतिनिधियों के साथ-साथ फैक्ट्रियां, विशेषज्ञ और उद्योग संगठनों के प्रतिनिधि शामिल हुए। 

आरएसपीसीबी के आंकड़ों के मुताबिक, कोटा जिले में करीब 350 ऐसी फैक्ट्रियां हैं जो हवा को दूषित करती हैं। इनमें से 200 फैक्ट्रियां ऐसी हैं जिनसे धुआं और दूसरी हानिकारक गैसें निकलती हैं। इनमें से 100 खदानें हैं और 42 स्टोन क्रशर हैं। 

सीएसई में औद्योगिक प्रदूषण कार्यक्रम के निदेशक, निवित यादव ने बताया, ''इन क्षेत्रों में बड़ी संख्या में फैक्ट्रियां चल रही हैं, जिनसे बहुत सारा धूल और प्रदूषण निकल रहा है। इन फैक्ट्रियों को प्रदूषण कम करने के लिए सख्त नियमों का पालन करना होगा। इन क्षेत्रों से निकलने वाली धूल से जिले में हवा का प्रदूषण बहुत बढ़ गया है, इसलिए इस पर ध्यान देना बहुत ही जरूरी है।'' 

वर्कशॉप में आरएसपीसीबी के क्षेत्रीय अधिकारी अमित सोनी ने भी अपनी बात रखी। उन्होंने कहा, ''कोटा की हवा को साफ करने की खातिर धुएं और कचरे को नियंत्रित करने के सख्त कदम उठाने होंगे। आरएसपीसीबी, आरआईआईसीओ और फैक्ट्रियों को मिलकर काम करना बहुत जरूरी है, ताकि प्रदूषण रोकने के सख्त नियम लागू किए जा सकें और फैक्ट्रियां अच्छे तरीके से चल सकें। हम चाहते हैं कि कोटा एक ऐसा शहर बने जहां उद्योग तेजी से बढ़ें और हवा, पानी और जमीन साफ रहे। हमें यह नहीं मानना चाहिए कि विकास के साथ-साथ प्रदूषण भी बढ़ेगा। हमें आज ही इस समस्या को हल करने के लिए ठोस कदम उठाने चाहिए ताकि हम सबका भविष्य सुरक्षित रहे।'' 

सीएसई में औद्योगिक प्रदूषण इकाई की कार्यक्रम प्रबंधक श्रेया वर्मा कहती हैं, ''फैक्ट्रियों से निकलने वाले धुएं के अलावा, फैक्ट्री वाले इलाकों में कचरा डालने की अच्छी व्यवस्था न होने की वजह से भी कोटा में हवा प्रदूषित हो रही है। खासतौर पर पत्थरों को तोड़ने के बाद बचा हुआ पानी गलत तरीके से फेंकने से हवा में धूल उड़ती है, जिससे प्रदूषण बढ़ता है। इसलिए कचरे को सही तरीके से निपटाने के लिए अच्छी सुविधाएं बनाने की बहुत जरूरत है।'' 

सीएसई में औद्योगिक प्रदूषण इकाई के कार्यक्रम प्रबंधक शोभित श्रीवास्तव कहते हैं, ''पूरे देश में पत्थर तोड़ने वाली फैक्ट्रियां सबसे ज्यादा धुआं छोड़ती हैं। इस काम के हर स्टेप में प्रदूषण होता है। कोटा में इस तरह की बहुत सी फैक्ट्रियां हैं, इसलिए जरूरी है कि इन फैक्ट्रियों को आरएसपीसीबी के नियमों के मुताबिक प्रदूषण कम करने के लिए काम करना चाहिए।'' 

सीएसई और आरएसपीसीबी ने मिलकर कुछ सुझाव दिए हैं: 

उत्सर्जन को नियंत्रित करना: पत्थर तोड़ने वाली सभी फैक्ट्रियों को आरएसपीसीबी के नियमों का पालन करना चाहिए। आरएसपीसीबी को सभी फैक्ट्रियों में प्रदूषण रोकने वाले अच्छे उपकरण लगाने और उनकी देखभाल करने का ध्यान रखना चाहिए। अगर कोई फैक्ट्री नियमों का पालन नहीं करती है तो उसे काम करने की इजाजत नहीं देनी चाहिए। 

फैक्ट्री के कचरे के लिए व्यवस्था बनाना: फैक्ट्री के कचरे को फेंकने और जलाने की समस्या को कम करने के लिए कचरे की सही व्यवस्था की जरूरत है। इस व्यवस्था में घर-घर से कचरा उठाना, कचरा रखने की जगह बनाना और रीसाइकिल होने वाले कचरे को सही जगहों पर भेजना शामिल है। फैक्ट्री वाले इलाकों में कितना और किस तरह का कचरा निकलता है, इसका पता लगाने के लिए जांच करनी चाहिए। इससे कचरे का सही इस्तेमाल करने और अच्छी कचरा प्रबंधन व्यवस्था बनाने में मदद मिलेगी। 

हरियाली बढ़ाना: फैक्ट्री वाले इलाकों में पेड़-पौधे लगाना और उनकी देखभाल करना बहुत जरूरी है। सड़कों के किनारे भी पेड़ लगाए जा सकते हैं ताकि धूल कम उड़े। 

स्वच्छ ईंधन का इस्तेमाल: फैक्ट्रियों को स्वच्छ ईंधन का इस्तेमाल करना चाहिए और हवा साफ करने वाले अच्छे उपकरण लगाने चाहिए। 

प्राकृतिक गैस कोटा लाने की व्यवहार्यता तलाशना: यह पता लगाया जाएगा कि कोटा के फैक्ट्री वाले इलाकों में प्राकृतिक गैस लाना संभव है या नहीं और इसमें कितना समय लगेगा। जांच के बाद, एक योजना बनानी चाहिए कि कितने समय में सभी फैक्ट्रियां प्राकृतिक गैस इस्तेमाल करने लगेंगी।  

अधिक जानकारी के लिए सीएसई की औद्योगिक प्रदूषण इकाई की श्रेया वर्मा से संपर्क करें: shreya@cseindia.org, 8882084294

 

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