डाउन टू अर्थ ने लगातार इसपर जमीनी रिपोर्ट की है। हाल ही में पत्रिका में एक विस्तृत खबर दालों के संकट पर लिखी गई है। इसमें दालों की पहेली को सुलझाने की कोशिश की गई है, जिसमें बताया गया है कि भारत अपनी विशाल घरेलू आवश्यकता को पूरा करने के लिए पर्याप्त दालों का उत्पादन करने में असमर्थ क्यों है? हम आपको ऐसी खबरों और उनके पीछे की कहानियों और केस स्टडीज के माध्यम से विविध आयाम और पहलू को सामने रखेंगे। इस मंथन में हम आपको शामिल होने के लिए आमंत्रित करते हैं। भारतीय कृषि से जुड़ी खबरों की बारीकी और उन्हें कैसे लिखा जाना चाहिए यह आपसे मंथन के चौथे संस्करण में साझा करेंगे, यह खासतौर पर हिंदी में लिखने वाले पत्रकारों के ऑनलाइन प्रशिक्षण की श्रृंखला है। आपको इस कोर्स से क्यों जुड़ना चाहिए
इस कार्यशाला में किसे शामिल होना चाहिए: पाठ्यक्रम में केवल उन पत्रकारों को प्रवेश दिया जाएगा जो हिंदी में लिखते और रिपोर्ट करते हैं। कृपया ध्यान दें: मंथन के चौथे संस्करण और बातचीत के लिए ऑनलाइन मंच ज़ूम का इस्तेमाल होगा। इस पाठ्यक्रम में सीमित सीटें हैं और हम आपको सलाह देते हैं कि आप निर्धारित समय के भीतर अच्छी तरह से पंजीकभी होगा। |
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पाठ्यक्रम पूरा करने वाले सभी प्रतिभागियों को सीएसई द्वारा भागीदारी का प्रमाण पत्र प्रदान किया जाएगा। | |
किसी अन्य विवरण के लिए, कृपया सीएसई मीडिया रिसोर्स सेंटर की सुकन्या नायर से संपर्क करें |
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Presentations | |
दालों के देश में... By: Vivek Mishra |
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कृषि : एक ऐसा विषय जिस पर रिपोर्ट करने की हैव्यापक संभावनाएं By: Kiran Pandey CSE |
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