मंथन-4: क्या भारत अब भी एक कृषि प्रधान देश है?


भारतीय कृषि पिछले कुछ वर्षों से संकट की स्थिति में है। आज खेती-किसानी जलवायु परिवर्तन, प्राकृतिक आपदाएं, शासन और प्रशासन की उदासीनता, गलत कानूनों और नीतियों, और गिरती पैदावार और किसानों की आत्महत्या जैसे गंभीर संकट से त्रस्त है। बावजूद इसके खेती-किसानी जारी है जो लाखों लोगों को रोजगार दे रहा है। इसका कोई वास्तविक विकल्प नहीं है। क्या निरंतर संकट और संघर्ष के इस माहौल में फंसा हुआ भारत अब भी एक कृषि प्रधान राष्ट्र होने का दावा कर सकता है? पत्रकारों को इस स्थिति को कैसे समझना चाहिए और उन्हें इस पर कैसे रिपोर्ट करनी चाहिए?

डाउन टू अर्थ ने लगातार इसपर जमीनी रिपोर्ट की है। हाल ही में पत्रिका में एक विस्तृत खबर दालों के संकट पर लिखी गई है। इसमें दालों की पहेली को सुलझाने की कोशिश की गई है, जिसमें बताया गया है कि भारत अपनी विशाल घरेलू आवश्यकता को पूरा करने के लिए पर्याप्त दालों का उत्पादन करने में असमर्थ क्यों है?

हम आपको ऐसी खबरों और उनके पीछे की कहानियों और केस स्टडीज के माध्यम से विविध आयाम और पहलू को सामने रखेंगे। इस मंथन में हम आपको शामिल होने के लिए आमंत्रित करते हैं। भारतीय कृषि से जुड़ी खबरों की बारीकी और उन्हें कैसे लिखा जाना चाहिए यह आपसे मंथन के चौथे संस्करण में साझा करेंगे, यह खासतौर पर हिंदी में लिखने वाले पत्रकारों के ऑनलाइन प्रशिक्षण की श्रृंखला है।

आपको इस कोर्स से क्यों जुड़ना चाहिए

  1. क्योंकि यह आपको इस विषय की बेहतर समझ विकसित करने में मदद करेगा - भारतीय कृषि किन-किन संकट की स्थितियों का सामना करता है। यह जलवायु परिवर्तन और कृषि, खाद्य असुरक्षा, किसान की आय के प्रश्न आदि जैसी समकालीन चिंताओं पर ध्यान केंद्रित करेगा।
  2. क्योंकि यह केवल आपके और आपके समुदाय के लिए अनुकूलित है - पत्रकार जो हिंदी में लिखते और रिपोर्ट करते हैं - और आपके लिए एक टीम द्वारा लाया जाता है जिसे कृषि और पर्यावरण पर रिपोर्टिंग का व्यापक अनुभव है।
  3. क्योंकि यह आपके लिए अपने लेखों के योगदान के लिए एक और अवसर खोलेगा - डाउन टू अर्थपत्रिका हिंदी में आप भी योगदान दे सकते हैं।

इस कार्यशाला में किसे शामिल होना चाहिए: पाठ्यक्रम में केवल उन पत्रकारों को प्रवेश दिया जाएगा जो हिंदी में लिखते और रिपोर्ट करते हैं।

कृपया ध्यान दें: मंथन के चौथे संस्करण और बातचीत के लिए ऑनलाइन मंच ज़ूम का इस्तेमाल होगा। इस पाठ्यक्रम में सीमित सीटें हैं और हम आपको सलाह देते हैं कि आप निर्धारित समय के भीतर अच्छी तरह से पंजीकभी होगा।

पाठ्यक्रम पूरा करने वाले सभी प्रतिभागियों को सीएसई द्वारा भागीदारी का प्रमाण पत्र प्रदान किया जाएगा।

किसी अन्य विवरण के लिए, कृपया सीएसई मीडिया रिसोर्स सेंटर की सुकन्या नायर से संपर्क करें
sukanya.nair@cseindia.org
8816818864

 

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