मंथन-8: हिमालय का कोप

दिनांक: फरवरी 18 , 2023
दोपहर 2.00-3.30 बजे
माध्यम: जूम

जोशीमठ एक और उदाहरण है कि हम हिमालय के साथ क्या कर रहे हैं और इसके बदले में हिमालय हमें क्या दे सकता है। हिमालयी क्षेत्र की नाजुक पारिस्थितिकी कैसे और क्यों खतरे में है, इसकी रक्षा के लिए क्या किया जाना चाहिए, इसी विषय पर एक विमर्श होने जा रहा है।

कृपया ध्यान दें :

  • चर्चा का माध्यम जूम होगा। इस ब्रीफिंग के लिए सीटें सीमित हैं, इसलिए हमारी सलाह है कि निर्धारित समय के भीतर रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया पूरी कर लें।
  • जो प्रतिभागी यह कोर्स पूरा कर लेंगे, उन्हें सीएसई की तरफ से एक सर्टिफिकेट दिया जाएगा।

जोशीमठ, कर्ण प्रयाग, नैनीताल के बाद आगे कौन…? जोशीमठ आपदा हमें बताती है कि हिमालय कितना संवेदनशील क्षेत्र है। भारतीय हिमालय क्षेत्र का क्षेत्रफल 12 राज्यों में लगभग 537 लाख हेक्टेयर में फैला हुआ है। इस क्षेत्र में 5.1 करोड़ लोग रहते हैं और संभवतः भारतीय हिमालय क्षेत्र दुनिया की सबसे सघन आबादी वाली पर्वतमाला है। आजादी के 76 साल बाद भी हमें हिमालय की पारिस्थितिकी की समग्र समझ नहीं है और इसके चलते अनियोजित ‘विकास’ और शहरीकरण हुआ है। ऐसे समय में जब जलवायु परिवर्तन पहले से ही इस क्षेत्र को गंभीर रूप से प्रभावित कर रहा है, तो यह अनियोजित ‘विकास’ आपदा को आमंत्रित कर रहा है।


इस कार्यशाला में कौन शामिल हो सकते हैं:
यह कार्यशाला सिर्फ उन मौजूदा पत्रकारों के लिए है, जो हिन्दी में लिखते हैं।

किसी भी जानकारी के लिए संपर्क करें

सुकन्या नायर
दि सीएसई मीडिया रिसोर्स सेंटर
sukanya.nair@cseindia.org
8816818864

 

 

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प्रेज़न्टेशन
हिमालय का कोप
By: डाउन टू अर्थ
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