एक से बढ़कर एक आपदाओं ने दुनिया और भारत को अपनी गिरफ्त में ले लिया है। चाहे असमय और विध्वंसकारी भारी वर्षा हो या फिर दिलों को बिठा देने वाली हीटवेव और सूखा हो, एक नाम बार-बार चर्चाओं और बहसों में बना रहता है, यह नाम है अल नीनो।
विश्व मौसम विभाग (डब्ल्यूएमओ) ने 4 जुलाई, 2023 को अल नीनो के शुरुआती दशाओं की घोषणा की थी। अल नीनो वह अवधारणा है जो दुनिया के कई भू-भाग को प्रभावित करती है और चरम मौसमी घटनाओं के लिए जिम्मेदार ठहराई जाती है।
असल में अल नीनो क्या है और आखिर यह क्या करता है?
इस सवाल पर गहराई से समझ बनाने और बुनियादी बातों पर एक्सपर्ट की राय जानने व जलवायु परिवर्तन से जुड़े आयाम को समझने के लिए हम अपने 9वें मंथन कार्यक्रम में हिंदी माध्यम के पत्रकारों को आमंत्रित कर रहे हैं।
यह अब तक बेहद कम समझा और जाना गया विषय है। हमारे 9वें मंथन कार्यक्रम में भागीदारी करके आप न सिर्फ इस सवाल पर गहराई से समझ बना सकते हैं, बल्कि बुनियादी बातों पर राय-मशविरा भी कर सकते हैं।
इस कार्यशाला में कौन शामिल हो सकते हैं:
यह कार्यशाला सिर्फ उन मौजूदा पत्रकारों के लिए है, जो हिन्दी में लिखते हैं।
किसी भी जानकारी के लिए संपर्क करें
सुकन्या नायर
दि सीएसई मीडिया रिसोर्स सेंटर
sukanya.nair@cseindia.org
8816818864
प्रेज़न्टेशन | |
Unchartered Territory By: Akshit Sangomla Correspondent, Down To Earth |
|
अल नीनो By: Vivek Mishra Down To Earth |
|
बदलती जलवायु में एल-निनो का भारत पर प्रभाव By: डॉ. विनीत कुमार सिंह अनुसंधान वैज्ञानिक |
|
A quick introduction to El Nino By: Dr Akshay Deoras Research Scientist |
|
पिछले मंथन | |
मंथन-8 | |
मंथन-7 | |
मंथन-6 | |
मंथन-5 | |
मंथन-4 | |
मंथन-3 | |
मंथन-2 | |
मंथन-1 |
Share this article