मंथन नाम काफी विशिष्ट अर्थ वाला है, जिसका मतलब मथना भी है। सीएसई मीडिया रिसोर्स सेंटर (सीएसई-एमआरसी) ने मंथन नाम अपनी उस कार्यशाला और प्रशिक्षण श्रृंखला को दिया है जो खास तौर से हिंदी पत्रकारों के लिए तैयार की गई है। इसका उद्देश्य उन पत्रकारों के बीच गंभीर खबर और वैचारिकी का मंथन करना है जो खबरों की तह में जाना चाहते हैं। साथ ही जो पत्रकार अपनी खबरों को कहने के तरीके को प्रभावी और असरदार बनाना चाहते हैं। मंथन कार्यशाला और प्रशिक्षण ऐसे पत्रकारों को जमीनी व वास्तविक खबरों को बिना लाग-लपेट नए सिरे से तैयार करके बताने में सहयोग देने के लिए है।
महामारी के दौरान जब पूरा भारत घर से काम कर रहा था उस वक्त मंथन श्रृंखला के तहत पत्रकारों के बीच नदी प्रदूषण, वायु प्रदूषण और कृषि के साथ जलवायु परिवर्तन, भू-जल प्रबंधन, मानसून और चारा संकट से डगमगाई अर्थव्यवस्था जैसे विषयों पर कार्यशलाएं और प्रशिक्षण कार्यक्रम किए गए।
आम तौर पर मंथन का प्रत्येक संस्करण डाउन टू अर्थ हिंदी द्वारा की गई कवर स्टोरी पर आधारित होता है, जो पत्रकारों के लिए उत्कृष्ट ताजा सामग्री और रिपोर्ताज सुनिश्चित करती है।
कुछ कार्यशालाओं में चयनित हिंदी पत्रकारों को रिपोर्टिंग के गुर व कौशल बताए जाने के साथ खबरों और उनके स्रोतों की पहचान करना भी सिखाया जाता है। इस दौरान उन्हें डेटासेट के विश्लेषण के जरिए खबरों को तार्किक और असरदार बनाने के बारे में भी बताया जाता है।
सीएसई-एमआरसी की मंथन कार्यशालाओं में प्रत्येक संस्करण में औसतन 25-30 युवा व अनुभवी पत्रकार शामिल होते हैं। संक्षेप में, हिंदी में लिखने और रिपोर्टिंग करने वाला कोई भी व्यक्ति जो समकालीन मुद्दों, पर्यावरण और विकास की चिंताओं के बारे में थोड़ा और जानने में रुचि रखता है, वह इस मंथन का प्रतिभागी बन सकता है।
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