सीएई का कहना है कि कोविड-19 आपदा के दौरान स्वास्थ्य सुविधा की बेहतरी के लिए डीएमएफ का उपयोग करने का सरकार का हालिया कदम सिर्फ खनन प्रभावित क्षेत्रों और लोगों तक सीमित होना चाहिए। खनन प्रभावित समुदायों में आर्थिक लचीलापन लाने की तरफ भी सरकार को देखना होगा।
नई दिल्ली, 27 अप्रैल, 2020: जिला खनीज फाउंडेशन (डीएमएफ) की एक नई रिपोर्ट में सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट (सीएसई) ने पाया है कि डीएमएफ में खनन प्रभावित समुदाय में दशकों से चली आ रही कुछ महत्वपूर्ण चुनौतियों के समाधान की क्षमता है। कोविद -19 महामारी के लिए स्वास्थ्य सुविधा बढ़ाने के उपायों के लिए डीएमएफ फंड का उपयोग करने के लिए हाल ही में सरकार के प्रस्ताव के मद्देनज़र, सीएसई ने चेतावनी दी है कि इसका उपयोग खनन प्रभावित समुदायों के स्वास्थ्य और आर्थिक लचीलापन बनाने की तरफ होना चाहिए, न कि सामान्य विकास निधि के रूप में। भारत के खनन जिलों में प्रभावित समुदायों के जीवन और आजीविका में सुधार के लिए डीएमएफ का उपयोग जारी रहना चाहिए।
सीएसई की महानिदेशक सुनीता नारायण कहती हैं, “हम इस तात्कालिक जरूरत और कोविड-19 के लिए उठाए कदमों के महत्व को समझते हैं। हालांकि, यह भी स्पष्ट है कि डीएमएफ खनन से प्रभावित समुदायों की जरूरत के लिए बनाया गया है, जो कि देश के अति गरीब और अति पिछड़े इलाकों में रहते हैं। हमारी रिपोर्ट सुझाती है कि डीएमएफ की गुणवत्ता सतत बढ़ती रहे और इस राशि का इस्तेमाल ऐसे इलाकों में जीविकोपार्जन की सुरक्षा देने के लिए अधिक से अधिक हो। हम इस बात से भी चिंतित हैं कि इस राशि का सामान्य उपयोग किया जाने लगेगा। ऐसा बिल्कुल नहीं होना चाहिए।“
डीएमएफ: इंप्लीमेंटेशन स्टेटस एंड इमर्जिंग बेस्ट प्रैक्टिसेज (https://www.cseindia.org/dmf-
डीएमएफ को देश के लगभग सभी खनन प्रभावित जिलों में स्थापित किया गया है, जिसका उद्देश्य खनन से प्रभावित समुदायों के लाभ के लिए काम करना है। स्थापना के बाद से डीएमएफ ने अपने खजाने में 36,000 करोड़ रुपए इकट्ठा कर लिए हैं। सुनीता नारायण कहती हैं, “हमें यकीन है कि यह राशि खनन से प्रभावित हुए हाशिए पर जी रहे लोगों के जीवन को बेहतर करने में महत्वपूर्ण योगदान दे सकती है। खनन के प्रभाव से ये लोग गरीबी और खनन की वजह से पर्यावरण के बुरे प्रभावों के बीच फंस गए हैं।”
रिपोर्ट में यह बात भी सामने आई कि भारत सरकार की प्रमुख योजना प्रधानमंत्री खनीज क्षेत्र कल्याण योजना (पीएमकेकेकेवाई) भी इस तथ्य को मानती है।
सीएसई पिछले पांच वर्षों से देश भर में डीएमएफ की प्रगति पर नजर बनाए हुए है।
हमने इस योजना के कार्यान्वयन, प्रशासन के द्वारा उठाए कदम और चुनौतियों पर लगातार और नियमित रूप से रिपोर्ट बनाई है (www.cseindia.org पर हमारी सभी DMF रिपोर्ट देखें)।
इस कड़ी में सबसे ताजी तीसरी रिपोर्ट है, इससे पहले सीएसई की 2018 और 2017 की रिपोर्ट ने डीएमएफ प्रशासन, योजना और निवेश में गंभीर कमियों को उजागर किया था। इन वजहों से खनन प्रभावित क्षेत्रों में समुदायों की हालत बेहतर करने की डीएमएफ की क्षमता प्रभावित हो रही थी। हालांकि, उनमें से कई मुद्दे अभी भी जस के तस हैं, डीएमएफ को सुधारने की कुछ कोशिशें जरूर हुई हैं। सीएसई की एनवायरनमेंट गवर्नेंस यूनिट की चिन्मयी शाल्या कहती हैं,“ 2020 की रिपोर्ट में इस आशा के साथ कुछ कोशिशों को सामने लाया गया है, ताकि दूसरे जिले और राज्य इन कोशिशों को अपनी नीतियों और कामकाज में शामिल करें।”
नारायण कहती हैं, “हमारी यह पुरजोर सलाह है कि डीएमएफ की राशि को किसी भी सामान्य उपयोग में नहीं मिलाना चाहिए, यहां तक कि कोविड-19 जैसी आपदा के समय भी नहीं। बजाए इसके, इस राशि को खनन से प्रभावित जिलों में उन समुदायों के लाभ के लिए स्वास्थ्य सुविधाओं में बढ़ोतरी के लिए किया जा सकता है। यह निश्चित रूप से अधिक समावेशी समाजों के निर्माण में एक लंबा रास्ता तय करेगा, जो भविष्य में आने वाली आपदाओं के खिलाफ हमारी लचीलापन को बढ़ाएगा।”
नवीनतम डीएमएफ रिपोर्ट और अन्य संबंधित रिपोर्टों की प्रति के लिए, कृपया www.cseindia.org पर जाएं।
डाउन टू अर्थ (हिंदी) ने इस विषय पर बड़े पैमाने पर लिखा है। इसे देखने के लिए www.downtoearth.org.in पर जाएंं।
अधिक जानकारी के लिए कृपया सीएसई मीडिया रिसोर्स सेंटर के सुकन्या नायर से sukanya.nair@cseindia.org / 88168 18864 पर संपर्क करें।
Share this article